20090612

मुम्बई हमले के समय पुलिस की निष्क्रियता

मुम्बई पुलिस ने देश की नाक नीचे करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी. २६ नवंबर की काली रात को अपनी जान की बाजी लगाते हुए सदानंद दाते और उनके साथी एक घंटे (रात १२ बजे) तक control room से reinforcement भेजे जाने की भीख माँगते रहे थे, पर वहाँ कोई नहीं गया. समय रहते अगर सदानंद को सहायता मिली होती तो इस भयावहता को कम किया जा सकता था. इस हमले ने दिखा दिया कि पुलिस की विभिन्न सुरक्षा विभागों से कोई तालमेल ही नहीं है. पुलिस की इन अक्षमताओं का फ़ल मिला उन बहादुर सिपाहियों के परिवारों को उनकी जान गँवाकर.

और इन सब पर परदा डालने के लिये ही विनीता कामते को अभी भी पुलिस के call records की जानकारी नहीं दी गयी है.

पूरा पढ़ें: Slaughter House Files.
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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

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