20100125

क्या मेडल बेच पेट पालूं?

खटीमा. आर्थिक तंगी की वजह से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीत चुके पावरलिफ्टर निजाम अली के लिए अपने कैरियर को आगे बढा पाना मुश्किल हो रहा है।

पैसे की कमी के कारण निजाम के पास अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक अभ्यास के लिए जरूरी पेट पर बांधने वाली बेल्ट, जूते, इनर कास्टच्यूम तथा बेंच प्रेस नहीं है। वह अपने साथी खिलाडियों से इन चीजों को मांगकर जरूरी अभ्यास करते हैं१ इसके अतिरिक्त वह वजन उठाने के लिए नदी से निकाले गए पत्थरों का इस्तेमाल करते हैं।

पैसे की कमी की वजह से ही दो माह बाद रूस में होने वाले चैम्पियनशिप में निजाम का भाग लेना संदिग्ध हो गया है। निजाम न्यूजीलैंड, उजबेकिस्तान और कजाकस्तान में संपन्न चैम्पियनशिप में भी आर्थिक कारणों से भाग नहीं ले पाए थे१ निजाम की चाहत है कि यदि उसे बेहतर सुविधायें मिले तो वह भारत के लिए भी पदक जीत सकते हैं।

हाल ही में प्रशिक्षु सिपाही बने निजाम की माली हालत इतनी खराब है कि बरसात के दिनों में अपने घर में घुटनों तक भरे पानी को सिर्फ निकालते रहते हैं लेकिन वह उसकी मरम्मत नहीं करा सकते हैं।निजाम के पिता ने उसकी मां को छोडकर दूसरी शादी कर ली थी उसके बाद से घर की आर्थिक हालत खराब हो गई थी।

निजाम को अभी मात्न 3500 रूपये की मासिक पगार मिलती है जो कि कहीं से भी पर्याप्त नहीं है। एक पावरलिफ्टर को दिनभर में पांच से छह सौ रूपये भोजन पर खर्च करने की आवश्यकता होती है लेकिन निजाम की हालत ऐसी नहीं है।

निजाम की बदौलत ही उत्तराखंड पुलिस को एशिया स्तर पर आयोजित चैम्पियनशिप में पहला स्वर्ण पदक मिला१ उन्होंने माउंटआबू में संपन्न 9वीं सब जूनियर वर्ग में सबसे ताकतवर व्यक्ति का खिताब जीतते हुए स्वर्ण पदक जीता और अपने गुरू का रिकार्ड तोडा१ निजाम ने इस प्रतियोगिता में अपने से नौ गुणा अधिक वजन उठाया था।

दिसंबर 2009 में ही पुणे में 39 देशों की प्रतियोगिता में निजाम ने भारत को सर्वाधिक पदक दिलाये थे.
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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

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