20100616

ईवीएम धोखाधड़ी से बनी यूपीए सरकार पार्ट-2

जिस वक्त इधर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पत्रकारों को यूपीए सरकार के एक साल की उपलब्धियां गिना रहे थे उससे एक दिन पहले अमेरिका में मिशिगन विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर जे एलेक्स हेल्डरमैन की एक रिपोर्ट सामने आ गयी जो इस शक को पुख्ता कर रही है कि यूपीए सरकार की दूसरी पारी और बीते आमचुनाव में कांग्रेस की भारी जीत और कुछ नहीं ईवीएम मशीनों की गड़बड़ी का नतीजा है.

बीते आमचुनाव में कांग्रेस को अप्रत्याशित सफलता मिली थी और उसे 207 सीटें हासिल हुई थीं. कांग्रेस के इस अप्रत्याशित परफार्मेन्स पर खुद कांग्रेस के ही नेताओं को यकीन नहीं हो रहा था. उसके बाद भाजपा के कुछ प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग में शिकायत की कि उनकी हार के लिए ईवीएम मशीनें जिम्मेदार हैं. बक्सर से भाजपा प्रत्याशी लालमुनि चौबे ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी कि ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ की गयी है. चौबे की इस शिकायत के बाद भाजपा ने यह मुद्दा चुनाव आयोग के सामने कई बार उठाया और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ईवीएम मशीनों की जगह बैलेट बाक्स की वकालत शुरू कर दी. लेकिन भाजपा और शिवसेना नेताओं की इस शिकायत को न तो सत्तारूढ़ पार्टी ने बहुत महत्व दिया और न ही चुनाव आयोग ने कुछ खास ध्यान दिया. चुनाव आयुक्त नवीन चावला का कहना है कि ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती और यह बहुत ही विश्वसनीय प्रणाली है.

लेकिन अब एक अमेरिकी प्रोफेसर द्वारा यह दावा किये जाने के बाद कि बीते लोकसभा चुनाव में प्रयुक्त की गयी ईवीएम मशीनों के पैटर्न का अध्ययन करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. प्रोफेसर जे एलेक्स हेल्डरमैन ने नीदरलैण्ड की एक सुरक्षा एजंसी और हैदराबाद की नेटइंडिया के साथ मिलकर सात महीने का एक रिसर्च प्रोजेक्ट पूरा किया है. अपने अध्ययन के बाद हैल्डरमैन का कहना है कि "ईवीएम मशीनों के लगभग हर हिस्से को प्रभावित किया जा सकता है और चुनावों का मैनुपुलेशन किया जा सकता है." अपने अध्ययन में अमेरिकी प्रोफेसर ने निष्कर्ष निकाला है कि एक मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ईवीएम की मशीनों में बंद उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला बदला जा सकता है. प्रोफेसर हेल्डरमैन का निष्कर्ष है कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल के अलावा एक माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल करके भी चुनाव परिणामों को न केवल मतदान के वक्त बल्कि मतगणना के वक्त भी फेरबदल किया जा सकता है. अध्ययन दल अपने नतीजों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है और चाहता है कि अपने अध्ययन को भारतीय चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत करे.

भारत में बीते आमचुनाव में सिर्फ ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था. देश के 8,29,000 पोलिंग बूथों पर 14 लाख ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया गया था. उस वक्त भी इन मशीनों पर सवाल उठाया गया था और अब तो यह बात प्रमाणित हो गयी है कि अमेरिका और जापान में निर्मित इन मशीनों का इस्तेमाल उनके अपने ही देश में क्यों नहीं होता. तो क्या उन लोगों की शिकायतें सही हैं कि कांग्रेस की भारी जीत और यूपीए की सरकार पार्ट-2 और कुछ नहीं सिर्फ ईवीएम की धोखाधड़ी है?

----------------------------------------------------------------------------------------------------कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

No comments:

Post a Comment